Wednesday, October 21, 2009

My fav Hindi poems - 2

चलना हमारा काम है- शिवमंगल सिंह 'सुमन' (ShivMangal Singh Suman)

गति प्रबल पैरों में भरी , फ़िर क्यों रहूं दर दर खडा
जब आज मेरे सामने, है रास्ता इतना पडा

जब तक न मंजिल पा सकूँ,तब तक मुझे न विराम है,

चलना हमारा काम है ।

कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया, कुछ बोझ अपना बँट गया

अच्छा हुआ, तुम मिल गई कुछ रास्ता ही कट गया

क्या राह में परिचय कहूँ,राही हमारा नाम है,

चलना हमारा काम है ।

जीवन अपूर्ण लिए हुए, पाता कभी खोता कभी

आशा निराशा से घिरा,हँसता कभी रोता कभी

गति-मति न हो अवरूद्ध,इसका ध्यान आठो याम है,

चलना हमारा काम है ।

इस विशद विश्व-प्रहार में, किसको नहीं बहना पडा

सुख-दुख हमारी ही तरह,किसको नहीं सहना पडा

फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ,मुझ पर विधाता वाम है,

चलना हमारा काम है ।

मैं पूर्णता की खोज में, दर-दर भटकता ही रहा

प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ, रोडा अटकता ही रहा

निराशा क्यों मुझे, जीवन इसी का नाम है,

चलना हमारा काम है ।

साथ में चलते रहे, कुछ बीच ही से फिर गए

गति न जीवन की रूकी, जो गिर गए सो गिर गए

रहे हर दम,उसी की सफलता अभिराम है,

चलना हमारा काम है ।


फकत यह जानता, जो मिट गया वह जी गया

मूंदकर पलकें सहज, दो घूँट हँसकर पी गया

सुधा-मिक्ष्रित गरल,वह साकिया का जाम है,

चलना हमारा काम है ।

source - www.prayogshala.com

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