मोको कहां ढूढे रे बन्दे- कबीर (Kabir)
मोको कहां ढूढे रे बन्दे , मैं तो तेरे पास में
ना तीर्थ मे ना मूर्त में ना एकान्त निवास में
ना मंदिर में ना मस्जिद में ना काबे कैलास में
मैं तो तेरे पास में बन्दे मैं तो तेरे पास में
ना मैं जप में,ना मैं तप में,ना मैं बरत उपास में
ना मैं किर्या कर्म में रहता,नहिं जोग सन्यास में
नहिं प्राण में,नहिं पिंड में,ना ब्रह्याण्ड आकाश में
ना मैं प्रकति प्रवार गुफा में,नहिं स्वांसों की स्वांस में
खोजि होए तुरत मिल जाउं,इक पल की तालाश में
कहत कबीर सुनो भई साधो,मैं तो हूँ विश्वास में
source - www.pryogshala.com
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आज फिर शुरू हुआ जीवन- रघुवीर सहाय
आज फिर शुरू हुआ जीवन
आज मैंने एक छोटी-सी सरल-सी कविता पढ़ी
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा
जी भर आज मैंने शीतल जल से स्नान किया
आज एक छोटी-सी बच्ची आयी, किलक मेरे कन्धे चढ़ी
आज मैंने आदि से अन्त तक पूरा गान किया
आज फिर जीवन शुरू हुआ।।
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